ZINDAGI........EK KITAAB....
Sunday, January 31, 2016
ZINDAGI........EK KITAAB....: यमुना एक्सप्रेसवे पर लगा...
ZINDAGI........EK KITAAB....: यमुना एक्सप्रेसवे पर लगा...: यमुना एक्सप्रेसवे पर लगाये जाएं साइन बोर्ड ग्रेटर नॉएडा से आगरा तक बना यमुना एक्सप्रेसवे वैसे तो सुविधा के ह...
यमुना एक्सप्रेसवे पर लगाये जाएं साइन बोर्ड
ग्रेटर नॉएडा से आगरा तक बना यमुना एक्सप्रेसवे वैसे तो सुविधा के हिसाब से बनाया गया था पर धीरे धीरे यह खूनी हाईवे के नाम से कुख्यात होता जा रहा है ,,आये दिन यहाँ गाड़ियां आपस में टकरा जाती हैं या पलट जाती हैं जिससे न जाने कितने आम लोगो की जान जा चुकी है ,ऐसे में निम्नलिखित उपाय काफी हद तक बचाव के काम आ सकते हैं
1. हाईवे शुरू होते ही बोर्डो पर धीरे चलने की सलाह लगाई जाएँ ,जिनपर साफ़ लिखा होना चाहिए के टायर में हवा के प्रेशर के कारण भी एक्सीडेंट होना संभावित है !
2. हाईवे शुरू होते ही नाइट्रोजन गैस भरने की सुविधा उपलब्ध हो ,जिससे टायर फटने की सम्भावना बेहद काम हो जाती हैं क्यूंकि वह घर्षण से कम प्रभावित होती है !
3 . गति सीमा का सख्ती से पालन होना चाहिए , देखा गया है के विदेश से आया सिस्टम भी सही से कार्य नहीं कर रहा है और कुछ लोग आम जनता के लिए खतरा बने हुए हैं !
4 ट्रक आदि बड़े वाहनो का हाईवे के बीच में रोक लेने पर सख्ती आवश्यक है, उनका तुरंत चालान होना चाहिए
5 . पेट्रोल वाहनो की संख्या बढ़ा देनी आवश्यक है ताकि इमरजेंसी में जल्दी से जल्दी घायल को अस्पताल ले जाय जा सके और जान बचाई जा सके !
6. रास्ते में भी साइन बोर्ड लगाए जाएँ जिससे जनता को समस्या की गंभीरता के अंदाजा लगता रहे
इन आसान उपायों को करके आम जनता की जान बचाई जा सकती है , प्रदेश सरकार ,नॉएडा एवं यमुना अथॉरिटी से अनुरोध है की इन बातों का विशेष ध्यान रखा जाए
भवदीय
रंजन तोमर (अधिवक्ता दिल्ली हाई कोर्ट )निवासी नॉएडा
अजय (अधिवक्ता दिल्ली हाई कोर्ट )
मनोज कुमार चौधरी (साकेत कोर्ट दिल्ली )
सुमित चौहान (अधिवक्ता तीस हज़ारी कोर्ट )
अजय चौहान (सामाजिक कार्य करता )
अंकित अग्गरवाल (सामाजिक कार्य करता )
Friday, September 25, 2015
ZINDAGI........EK KITAAB....: मेरे पिताजी श्री अजीत सिंह तोमर 'बजरंगी' जी द्...
ZINDAGI........EK KITAAB....: मेरे पिताजी श्री अजीत सिंह तोमर 'बजरंगी' जी द्...: मेरे पिताजी श्री अजीत सिंह तोमर 'बजरंगी' जी द्वारा लिखी हुई यह मर्मस्पर्शी कविता ,यह तब लिखी गई थी जब मेरी दादी का स्व...
Thursday, September 24, 2015
मेरे पिताजी श्री अजीत सिंह तोमर 'बजरंगी' जी द्वारा लिखी हुई यह मर्मस्पर्शी कविता ,यह तब लिखी गई थी जब मेरी दादी का स्वर्गवास हुआ था , आज दादी की अचानक बहुत याद आ रही है !!!!सभी माँओं को समर्पित
माँ तो बस माँ है
अंतिम सफर का
अंतिम समय था
अंतिम समय क्या अंतिम ही क्षण था
परिवार के सब सदस्य
शोक वृहल थे
अश्रु पूरित नेत्रों से
शोक सैय्या के चारों तरफ थे
कुछ बैठे थे
कुछ खड़े थे
कुछ घुटनों के बल पड़े थे
हर किसी के मन में
कुछ न कुछ सवाल था
बेटे सोच रहे थे पता नहीं किस क्षण हम
माँ के साये से मरहूम हो जायेंगे
इस तपते धधकते संसार में अब हम
किस साये का आसरा पाएंगे ?
बेटियां सोच रही थी पीहर को क्या अब भी हम
माइका कह पाएंगी ?
क्या अब भी हम माँ जैसा दुलार
मइके में पाएंगी ?
पोते पोतियों की पीड़ा की
कुछ अलग ही दास्तान थी
उनकी पीड़ा एक
फेहरिश्त के समान थी
कोई सोच रही थी माँ की झिड़की से
अब हमें कौन बचाएगी ?
कोई सोच रही थी परियों की कहानी
कौन सुनाएगी ?
कोई सोच रही थी दादी अम्मा के प्यार का विकल्प
क्या हम ढूंढ पाएंगी?
कोई सोच रहा था दादी अम्मा का "बैंत " छुपा कर अब हम
कैसे घर में हड़कम्प मचवाएंगे ?
मम्मी की मार से बचने के लिए अब हम
किसके आँचल में जगह पाएंगे ?
बहुओं की पीड़ा कुछ
अलग ही तरह की थी
उनके चेहरे की हवाइयां उड़ रही थी
वो सोच रही थी
सासुमा की सेवा में कहीं हमसे
कोई कमी तो नहीं रह गई ?
कहीं हमसे कोई भूल तो नहीं हो गई ?
कहीं सासू माँ हमसे
रूठ कर तो नहीं जा रही ?
यदि ऐसा हुआ तो हम अपने आपको
कभी माफ़ नहीं कर पाएंगी
कैसे अपने मन को
ढांढस बँधायेंगी ?
हम तो इसका कोई प्रायश्चित भी
नहीं कर पाएंगी !!
भाइयों सहित मेरे मन में भी सवालों का
बवंडर छाया हुआ था
मगर अँधेरे की आंधी की भाँती उससे निकलने का कोई
रास्ता नहीं ढूंढ पा रहा था
तभी मुझे आशा की एक
किरण दिखाई दी
माँ के शरीर में एक
हलचल सी महसूस हुई
माँ की पलकों के पीछे से
मुझे एक ज्योति दिखाई दी
मैं स्वार्थी प्राणी भला इस मौके को
कैसे जाने देता ?
मैंने माँ के कानों में एक
सवाल दाग दिया
माँ मां तेरी कोई अंतिम इच्छा हो
तो बता ?
हम उसे अवश्य पूरा करेंगे
मैंने माँ के कानों में एक
सवाल दाग दिया
माँ मां तेरी कोई अंतिम इच्छा हो
तो बता ?
हम उसे अवश्य पूरा करेंगे
ऐसा कहती दफा मेरे चेहरे पर
पूरा आत्माभिमान था
शायद मेरे मन में माँ के प्रति
सर्वस्व समर्पण का अभियान था
माँ ने हलकी सी आँखें खोली
धीरे से बोली
"बेटा
तुम सबने मेरी बहुत सेवा की
मैं बहुत खुश हूँ
मेरी अंतिम इच्छा यह ही है कि
भगवान मेरे परिवार को
सदा सुखी रखे
परिवार में हमेशा सुख शांति रहे
तुम सदा तरक्की करो "
बस इतना कहकर माँ की आँखों की
ज्योति लुप्त होगई
मैं जो अपने को श्रवण कुमार समझ
आसमान में घूम रहा था
हरिश्चंद्र सा दानी समझ
आसमान को चूम रहा था
माँ की अंतिम इच्छा सुंन
धूमकेतु की भाँती
धड़ाम से नीचे गिर गया
मेरी आँखें जो अभी तक सूखी थी
अचानक उनका बाँध टूट गया
तब मेरी अंतरात्मा ने मुझे धिक्कारा
रे पगले
तू अपनी माँ की अंतिम इच्छा पूरी कर
उसके ऋण से उऋण होना चाहता है?
माँ का एहसान तू तू इस जनम में तो क्या
किसी जनम में भी नहीं उतार सकता
देखा
माँ जाते जाते भी तुझसे कुछ लेने के बजाये
तुझे वह संपत्ति दे गई
जिसके सम्मुख संसार की समस्त संपत्तियां
गौण रह गई
अंतिम समय माँ की आत्मा से बोला गया
ऐसा मुक्त आशीर्वचन
तो देवताओं को भी दुर्लभ सामान है
तू तो दुनिया का सबसे खुशनसीब
इंसान है
रे मूर्ख
माँ लेना नहीं बस देना जानती है
माँ -तो- बस- माँ- है
माँ का क्या इस जग में
और कोई प्रमाण है !!!!!!!!!!!!!!!!!
पूरा आत्माभिमान था
शायद मेरे मन में माँ के प्रति
सर्वस्व समर्पण का अभियान था
माँ ने हलकी सी आँखें खोली
धीरे से बोली
"बेटा
तुम सबने मेरी बहुत सेवा की
मैं बहुत खुश हूँ
मेरी अंतिम इच्छा यह ही है कि
भगवान मेरे परिवार को
सदा सुखी रखे
परिवार में हमेशा सुख शांति रहे
तुम सदा तरक्की करो "
बस इतना कहकर माँ की आँखों की
ज्योति लुप्त होगई
मैं जो अपने को श्रवण कुमार समझ
आसमान में घूम रहा था
हरिश्चंद्र सा दानी समझ
आसमान को चूम रहा था
माँ की अंतिम इच्छा सुंन
धूमकेतु की भाँती
धड़ाम से नीचे गिर गया
मेरी आँखें जो अभी तक सूखी थी
अचानक उनका बाँध टूट गया
तब मेरी अंतरात्मा ने मुझे धिक्कारा
रे पगले
तू अपनी माँ की अंतिम इच्छा पूरी कर
उसके ऋण से उऋण होना चाहता है?
माँ का एहसान तू तू इस जनम में तो क्या
किसी जनम में भी नहीं उतार सकता
देखा
माँ जाते जाते भी तुझसे कुछ लेने के बजाये
तुझे वह संपत्ति दे गई
जिसके सम्मुख संसार की समस्त संपत्तियां
गौण रह गई
अंतिम समय माँ की आत्मा से बोला गया
ऐसा मुक्त आशीर्वचन
तो देवताओं को भी दुर्लभ सामान है
तू तो दुनिया का सबसे खुशनसीब
इंसान है
रे मूर्ख
माँ लेना नहीं बस देना जानती है
माँ -तो- बस- माँ- है
माँ का क्या इस जग में
और कोई प्रमाण है !!!!!!!!!!!!!!!!!
Thursday, April 16, 2015
ZINDAGI........EK KITAAB....: एक गाँव ऐसा भी--------नॉएडा शेहेर के बीचोंबीच...
ZINDAGI........EK KITAAB....:
एक गाँव ऐसा भी--------नॉएडा शेहेर के बीचोंबीच...: एक गाँव ऐसा भी--------नॉएडा शेहेर के बीचोंबीच बसे गाँव रोहिल्लापुर (सेक्टर 132)को किसी भी तरह से मॉडर्न विलेज कहा जा सकता है,यहा...
एक गाँव ऐसा भी--------नॉएडा शेहेर के बीचोंबीच...: एक गाँव ऐसा भी--------नॉएडा शेहेर के बीचोंबीच बसे गाँव रोहिल्लापुर (सेक्टर 132)को किसी भी तरह से मॉडर्न विलेज कहा जा सकता है,यहा...
एक गाँव ऐसा भी--------नॉएडा शेहेर के बीचोंबीच बसे गाँव रोहिल्लापुर (सेक्टर 132)को किसी भी तरह से मॉडर्न विलेज कहा जा सकता है,यहाँ चौड़ी सड़कें ,बड़ी नालियां ,पानी और बिजली से लेकर इंटरनेट, हॉस्पिटल आदि सभी सुविधाएं हैं , इसका कारण नॉएडा से इस गाँव को चारों और से घेर लेना भी है, पर यहाँ इन खूबियों के आलावा एक खूबी और है जो इसे औरों से अलग बनाती हैं , यहाँ पर स्तिथ पीर बाबा की मज़ार , यह प्राचीन मज़ार न जाने कब से इन ग्रामवासियों की आस्था का केंद्र बनी हुई है, यह गाँव राजपूत समुदाय द्वारा 1857 के करीब बसाया गया ,पर अब यहाँ और भी जातियों ,समुदायों और धर्म के लोग साथ रहते हैं, गाँव के पूर्व प्रधान और वरिष्ट लेखक श्री अजीत सिंह तोमर ने बताया की गाँव के लोगों की पीर बाबा में असीम आस्था है ,और हर गुरूवार को हिन्दू मुस्लिम आदि सभी धर्मों और समुदायों के लोग यहाँ आते हैं और साथ में पीर बाबा की पूजा करते हैं , मान्यता है के पीर बाबा सभी की मनोकामना पूरी करते हैं, इसी गाँव के श्री फ़ूलसिंघ जी ने बताया के 'पीर बाबा ने हमेशा से इस गाँव की रक्षा की है, और आगे भी करते रहेंगे ' !!!!!इस गाँव का महत्व इसी बात लगाया जा सकता है के जहाँ धर्म के नाम पर दंगे ,धर्मपरिवर्तन , आदि इस देश को अस्थिर बना रहे हैं,यह गाँव और पीर बाबा एक अनूठा उदाहरण हैं देश में एकता और भाईचारे की जड़ें मज़बूत करने के लिए !!!!
Wednesday, January 14, 2015
ZINDAGI........EK KITAAB....: ...
ZINDAGI........EK KITAAB....: ...: लिफ़ाफ़ा कल्चर बी.ए द्वितीय वर्ष में अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त समाजशास्त्...
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