Tuesday, October 30, 2012

                                                 लाल बत्ती ........


रोज़ दिख जाते हैं मुझे वो , उस लाल बत्ती पर ,
जिसके हरे होते ही सब उत्साह से भर जाते हैं ,
पर उनकी नन्ही आँखों में ,एक ग़म का गुबार सा छलक जाता है ...!!!!!


वो दोनों भाई बहन हैं शायद ,छोटे से बच्चे ,
भाई के हाथ में ढोलक और छोटी सी  परी उस ढोल की थाप ....!

उसकी आँखों में न जाने कितने सपने होंगे, होंगे भी यह नहीं जानता  हूँ ,
सपने देखने को भी  तो कुछ   चाहिए होता है ,उसके पास तो कुछ भी नहीं!!!!

वो नाचती है ,करतब दिखाती है ,मैं देखकर सेहेम सा जाता हूँ,
फिर जब वो आकर पैसे मांगती है,तो मैं डर सा जाता हूँ ,क्या भविष्य  होगा इस नन्ही परी का ???यह सोचके घबराता हूँ ......!!!!!

मैंने किताबों में पढ़ा है,टीवी पर देखा है ,और बड़ों से सुना है ,कि  बच्चों को भीख न दो ,
,और मैं फिर वोह ही तो करता हूँ !!!!!

पर उस समाज के  ठेकेदारों की कही हुई सही चीज़ को करने के बाद भी फिर क्यूँ वो मुझे वहां मिल जाती है,
उस लाल बत्ती पर,और उन मासूम भूखी आँखों को ले  मेरे पास आजाती  है,
फिर करतब दिखाती है और हरी बत्ती होते ही फिर कहीं ओझल हो जाती है,....फिर कहीं ओझल हो जाती है।।।।!!!

कृत
रंजन तोमर



3 comments:

  1. Badhiya ekdum :) I knew it, you can express yourself in poems too! And i connected to this one, ye mere saath hota hai ber sarai ki red light pe :(

    ReplyDelete
  2. THANKUUUUUUUUU SOOO MUCHH:) HAN BILKUL YARR:( IT FEELS REALLY SAD...

    ReplyDelete
  3. wah tomar sahab bahaut khoob... keep it up..

    ReplyDelete